श्री रामदत्तगुरु चरित्र.....Http://ramdattaguru.org
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अनुभव 9

श्री.  व  सौ.  विश्वनाथ  (नानासाहेब)  गोविंद  निमकंडे,  अकोला

3.

माझे  गावचा  पातूरचा  मुलगा  लक्ष्मण  नाव.  माझे  मोठया  भावासोबत  अकोल्याला  डॉ.  कडे  आलो.  त्या  मुलाने  21  दिवसापासून  खाणे  पिणे  बंद  केले  होते.  थुंकी  सुध्दा  गिळली  नव्हती  व  वाचा  बंद  झाली  होती.  डॉ.  नी  विद्युत  शॉक  द्यावे  लागतीलए  संध्याकाळी  घेवून  या.  काही  माणसे  टोपले  हॉस्पीटल  मध्ये  खोली  घेण्यास  गेले  व  मुलास  घेवून  माझे  भाऊ  माझे  घरी  आले.  त्यावेळी  मी  देवघरात  सायं  प्रर्थनेस  बसलो  होतो.  ते  सरळ  पाय  धुवून  देवघरात  आले.  माझे  आटपेपर्यंत  ते  तेथेच  बसले.  चहा  पाणी  झाले.  तेवढयात  टोपले  हॉस्पीटलमध्ये  खोली  करुन  माणसे  आली  व  त्यास  सर्वजण  तेथे  घेवून  गेले  असतां  परत  मला  निमकंडे  काकाकडे  देव्हायाची  खूण  करुन  घेवून  चला  म्हणत  होता.  त्याप्रमाणे  भाऊ  घेवून  आले  तेव्हा  पु.  महाराजांना  (शॉक  पूर्वी)  दाखवून  घेण्याचा  सल्ला  दिला.  तेव्हा  तयार  झाले.  घेवून  गेलो  असता  महाराजांनी  तब्येत  पाहून  शॉकची  आवश्यकता  नाही,  अंगारा  दिला  व  रोज  पिंपळाला  21  प्रदक्षिणा  घालण्यास  सांगितले  व  त्याला  निमकंडे  काकांकडेच  राहू  द्या  तो  दुसरीकडे  राहणार  नाही  आई  वडील  व  इतर  हॉस्पीटलमध्ये  खोलीत  राहील  व  तो  आमचे,  कडे  आई  वडिलांना  ओळखत  नव्हता  त्यांचे  सामान  घराबाहेर  फेकून  हाकलत  होता  माझे  आई.वडील  हे  आहेत  असे  आम्हां  पमी  पत्नीकडे  खूण  करून  सांगत  होता

दीड  महिना  आमचे  घरी  होता  लहान  मुलगीच्याच  ताटात  जेवत  होता  घराची  साफ  सफाई  करत  होता  खुणेनेच  सकळे  काकूस  सांगत  होता  आमचे  घरी  महाराजांकडे  जाऊन  आल्यावरच  त्याचे  जेवण  व  पिणे  चालू  झाले 

ज्ञाुंच्डीत  पिंपळ  लावून  लहान  मुलगी  विद्या  खडे  मोजून  त्याच्या  प्रदक्षिणा  मोजत  होती  प्रदक्षिणा  तो  फार  जोरात  घालत  असे  साध्या  माणसास  चक्कर  आली  असती  पूर्ण  झाल्यातरी  जबरदस्तीने  त्यास  थांबवावे  लागत  असे  एकदा  न  सांगता  तो  बाहेर  गेला  सायकलवर  जात  असता  त्याच्यात  असलेल्या  शक्तीने  त्यास  पातुर  कडे  सायकलने  नेले  16  मैलातील  हनुमान  मंदिराजवळ  सायकल  जाम  झाली  तो  मांदिरात  गेला  थेडयावेळ  बसला  व  सायकल  डोक्यावर  घेवून  पातून  स्टॅन्ड  वरून  बाळापूर  नाक्याकडे  गेला  तेथे  अचानक  त्याचा  भाऊ  भेटला  त्याने  घरी  चालण्यास  म्हंटले  तो  गेला  नाही  मला  ताबडतोब  अकोल्यास  जावयाचे  आहे  काका  वाट  पाहत  आहेत  तो  गेल्याचे  महाराजांना  सांगितले  असतसं  त्यास  एकटे  बाहेर  जाऊ  देवू  नका  तो  परत  येईल  असे  सांगितले  तो  सायंकाळी  परत  आला  व  काज्ञाूंच्स  पाटीवर  लिहून  सर्व  सांगितले  त्याची  वाई  शक्ति  त्यास  भूलवित  होती  गजानन  महाराज  काठी  घेवून  त्याचे  बरोबर  होते  म्हणून  तो  परत  येवू  शकला  त्याच्या  पाठीमागे  असलेल्या  एकूण  7  शक्ती  होत्या  ब.यापैकी  दुरूस्त  झाल्यावर  त्यास  घरी  जाण्याची  इच्छा  व्हावी  म्हणून  महाराजांना  अंगारा  मागितला  कारण  तो  जाण्यास  तयार  नव्हताच  तो  गावाला  गेला  पूढे  गुढी  पाडव्याला  संध्याकाळी  भावाबरोबर  सरळ  महाराजांकडे  गेला  आम्ही  बरोबर  होतोच  महाराजांसमोर  बसून  खूपवेळ  स्तब्ध  बसला  अंगाला  आळोखे  पिळोखे  देवून  बोलण्याचा  प्रयत्न  केला  पण  बोलता  येत  नव्हते  शेवटी  महाराजांसमोर  जोरात  डोके  जमीनीवर  आढळून  नमस्कार  केला  व  महाराज  म्हणून  शब्द  बोलला  व  त्यानंतर  चांगला  दुरूस्त  होवून  सामान्य  होवून  घरी  गेला  दत्त  जयंतीला  दरवर्षी  प्रसादास  सहकुटुंब  येत  असतो  सर्व  महाराजांची  कृ  पा  निमित्त  मात्र  आम्ही 

 

 

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