श्री रामदत्तगुरु चरित्र.....Http://ramdattaguru.org
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।श्रीगणेशायनम:।  कुलदैवत  श्री  लक्ष्मी  व्यंकटेश  बाळासाहेब  श्री  कुलस्वामीनी  तुकाई  तुळजा  माता  श्री  रेणूका  माता  श्री  प.पु.  गुरूमहाराजांचे  त्याच  प्रमाणे  प.पु.  माता  पिता  सासु  सासरे  सर्व  वडील  मंडळी  श्री  प.पु.  नारायण  स्वरूप  पतिदेव  यांचे  कृपा  आशिर्वादाने  श्री  दत्तमहाराज  गुरूदेव  यांचे  चरित्र  त्यांच्याच  प्रेरणा  परवानगीने  लिहिले  गेले  आहे.  त्यात  स्व  :रचित  एकही  शब्द  किंवा  ओवी  नाही.  हि  वांड  :मय  सेवा  गुरूमाऊलीने  कसल्याही  प्रकारचा  अभ्यास  व  ज्ञान  नसतांना  करवून  घेतली  आहे.  त्याबद्दल  हा  अज्ञानी  जीव  आजन्म  ॠणी  आहे.  हि  अल्पसेवा  श्रीगुरूचरणी  अर्पण  करित  आहे.  हा  सिध्द  ग्रंथ  पुर्ण  होवून  श्रीगुरूचरणी  सर्मपण  होण्यास  सर्व  भक्तजनांचा  बहूमोल  सेवा  सहभाग  आहे.  या  सर्वांची  आजन्म  ॠणी  आहे.  अधिक  उण्या  अपराधांची  श्रीगुरूचरणी  कोटी  कोटी  क्षमा  याचना  करून  शरणांगतीने  हा  सिध्द  ग्रंथ  श्री  गुरूचरणी  समर्पण  करित  आहे.  स्वीकार  व्हावा  हीच  श्रीगुरूचरणी  प्रार्थना  सर्व  भक्तांना  गुरूकृपा  प्रसाद  लाभ  व्हावा  हिच  याचना  श्रीचरणी


श्रीगुरूकृपाभिलाषी  श्रीगुरूकृपांकीत  सौ.  कन्या. 
(  ॥  श्री  राम  गुरूचरित्र॥  सुरूवात  रविवार  दि.  5.10.1975  अश्विन  शुध्द  प्रतिपदा  स्थान  मुंबानगरी  )

॥  ॐ  ॥ 
॥  श्री  गजानन  प्रसन्न  ॥  ॥  श्री  दत्त  प्रसन्न  ॥  ॥  श्री  दत्त  ॥


'  ॥श्रीराम  गुरूचरित्र॥  '  हा  अठरा  अध्यायांचा  आकृत  ओवीबध्द  ग्रंथ  श्रीगुरूकृपांकिंत  सौ.  मंदाकिनीताईंनी  श्रध्दा  भतीने  लिहून  पूर्ण  केला  ते  पाहून  समाधान  वाटले.  परमार्थात  श्रीगुरूकृपेकरिता  श्रध्देची  आवश्यकता  आहे.  लेखकाची  श्रध्दाच  वाचकांनाही  श्रध्दासंपन्न  करू  शकते. 

संतांचे  चरित्र  वाचकांचे  चित्त  स्थिर  करण्याचे  महत्वाचे  साधन  आहे.  यामध्ये  श्रध्देचे  स्थान  महत्वाचे  आहे.  श्री  गुरूकृपासंपन्न  मंदाकिनीताईंनी  श्रध्देने  सर्व  चरित्राचे  चिंतन  करून  सर्व  साधकांच्या  कल्याणाकरिता  हे  चरित्र  लिहिले  व  श्रीगुरूमहाराजांचा  आशिर्वादही  मिळविला  तो  शेवटी  दिला  आहे.  अशा  प्रासादिक  श्रध्दापूर्वक  लिहिलेल्या  चरित्रांचे  चिंतन  करून  सर्व  श्रध्दाळू  साधक  वर्ग  श्री  गुरूकृपेने  कल्याणसंपन्न  होईल  असा  विश्वास  वाटतो.  असे  हे  ईश्वरीगुरूकृपा  संपादन  करणारे  सत्कार्य  केल्याबद्दल  श्री  गुरूकृपांकित  मंदाकिनीताईंना  धन्यवाद  ॐ 
शुक्रवार 
दि.14.2.86 


संतकृपाभिलाषी 
दत्तात्रेय  कविश्वर  
श्री  वासुदेव  निवास 
पुणे  4


( चरणी  सेवा  सर्मपण  14.2.86  रोजी  परम  पूज्य  ब्रम्हश्री  विद्यावाचस्पती  श्री  दत्तमहाराज  कवीश्वर  पूणे  यांनी  ग्रंथास  आर्शिवाद  पर  प्रस्तावना  ग्रंथ  वाचून  लिहीली  आहे.  )

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